नई दिल्ली। भगवान शिव की पूजा करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत हो जाता है, वो तो भोले-भंडारी हैं, जिनकी कृपा मात्र से भक्त को वो सब हासिल हो जाता है जिसकी वो कल्पना करता है। शिव की कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे जीवन के चारों पुरुषार्थ प्राप्त किए जा सकते हैं और इसी वजह से प्रदोष व्रत की मान्यता है। आज फाल्गुन मास की त्रयोदशी है और दिन बुधवार है और इसी वजह से आज के प्रदोष के व्रत को ‘बुध प्रदोष व्रत’ कहा जाता है।
- प्रदोष व्रत सुबह से रखा जाता है।
- पूजा प्रदोष व्रत की पूजा गोधूलि बेला में होती है।
- पूजा करेने से पहले सारे व्रती पुनः स्नान करे और स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को पोछा लगाकर शुद्ध कर ले।
- गंगाजल छिड़कर पवित्र कर ले।
- इसके बाद पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें।
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।
- कुश के आसन पर बैठ कर शिवजी की पूजा विधि-विधान से करें।
- ऊं नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवजी को जल अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिवजी का ध्यान करें।
- ध्यान के बाद, प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा पढ़ें।