Robertsganj-401
कभी दस्यु गिरोह के सरगना रहे और बाद में विधायक बनने वाले घमड़ी सिंह खरवार को लेकर चर्चा में रह चुकी राबर्ट्सगंज विधानसभा सीट विस चुनाव के सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा में है। पिछले दो दशक में यहां जीतने वाली पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार बनने की स्थिति के कारण सियासी हल्कों में इस सीट का खासा महत्व है। वर्षों तक भाजपा (BJP) की गढ़ रही इस सीट पर 2002 से 2017 के बीच सपा-बसपा का कब्जा रहा तो 2017 के मोदी लहर में फिर से भाजपा ने कब्जा जमा लिया, लेकिन इस बार न तो यहां पूरी तरह से मोदी मैजिक दिख रहा है और ना ही सीधे-सीधे बेस वोटरों का समीकरण। ऐसे में जहां भाजपा-बसपा के सामने परंपरागत वोटरों को साधे रखने की चुनौती है। वहीं, सपा के सामने बैकवर्ड और फॉरवर्ड वोटरों में पैठ बनाए रखने की।
वीओ- 1 2007 में दलित वोटरों के साथ ब्राह्मण मतदाताओं के मिले सपोर्ट ने बसपा उम्मीदवार सत्यनारायण जैसल को जीत दिलाई। 2012 में बैकवर्ड फैक्टर के साथ ही ब्राह्मण और वैश्य मतदाताओं के एक बड़े तबके ने सपा के अविनाश कुशवाहा को पसंद किया। नतीजा परंपरागत वोटरों के साथ ही बैकवर्ड तबके के एक खेमे से अच्छा-खासा वोट मिलने के बाद भी बसपा उम्मीदवार को हार सहनी पड़ी और अविनाश पूर्वांचल के सबसे युवा विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। 2017 में मोदी मैजिक ने सारे समीकरण तोड़ दिए और पिछली बार से ज्यादा मत हासिल करने के बावजूद अविनाश कुशवाहा को भाजपा के भूपेश चौबे से 30 हजार से भी अधिक वोटों से हारना पड़ा। बसपा से सुनील यादव को उम्मीदवार होने के कारण सपा के परंपरागत वोटों में भी सेंध लगी। लेकिन इस बार समीकरण बदले-बदले दिख रहे हैं। भाजपा को जहां परंपरागत वोटरों को साधे रखने की चुनौती है। वहीं अंतर्विरोध से समय रहते पार पाने की भी चुनौती है। जीत किस करवट बैठेगी? यह तो चुनाव परिणाम बताएगा।
राबर्ट्सगंज विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या पुरुष-1,78,848 महिला-1,55,292 कुल-3,34,147.
जातिगत आंकड़े ब्राह्मण: 50,000 दलित: 44,000 वैश्यः 30,000 अल्पसंख्यक-20,000 यादवः16000 कुशवाहाः 24000 पटेल: 21000 धांगरः1 6000 क्षत्रियः 14000 कनौजियाः 15000 चेरो- 8000 खरवार: 16000 बिंद,बियार,अगरिया: 25000 कायस्थ:7000 कुम्हार: 4000 नाई, गोंड़, अन्यः 24147.
प्रत्याशियों के नाम-
भूपेश चौबे- बीजेपी
अविनाश कुशवाहा- सपा
अविनाश शुक्ला- बीएसपी
कमलेश ओझा- कांग्रेस